Paytm Inter-company agreement ended: पेटीएम पेमेंट्स बैंक से हुआ पेटीएम का अलग होना, RBI की सख्ती के बाद लिया गया फैसला
3 मार्च, 2024: बड़ा बदलाव. डिजिटल पेमेंट की दिग्गज कंपनी पेटीएम ने अपनी ही सब्सिडियरी पेटीएम पेमेंट्स बैंक (PPBL) से अलग होने का फैसला किया है. ये फैसला भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की सख्ती के बाद आया है. RBI ने PPBL पर पाबंदी लगा दी थी जिसके तहत 15 मार्च 2024 के बाद बैंक नए ग्राहकों के खाते नहीं खोल सकता और ना ही मौजूदा खातों में जमा या टॉप-अप स्वीकार कर सकता है.
पेटीएम की पैरेंट कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस ने दोनों कंपनियों के बीच निर्भरता कम करने की बात कहते हुए PPBL के साथ हुए सभी समझौतों को खत्म करने का ऐलान किया है. शुक्रवार को दी गई इस जानकारी से ये साफ हो गया है कि पेटीएम अपने मुख्य कारोबार को बनाए रखने की कोशिश कर रही है.
RBI की कार्रवाई के बाद हुआ पुनर्गठन
RBI ने PPBL पर ये कार्रवाई बैंक द्वारा बार-बार नियमों को ना मानने के चलते की थी. गौरतलब है कि पहले RBI ने PPBL को 29 फरवरी 2024 तक नए डिपॉजिट लेने से रोक लगा दी थी. बाद में इस समय सीमा को बढ़ाकर 15 मार्च 2024 कर दिया गया.
RBI की जांच के बाद पेटीएम के फाउंडर विजय शेखर शर्मा ने PPBL के अंशकालिक गैर-कार्यकारी चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था. बैंक के बोर्ड में भी फेरबदल हुआ है, जिसमें पूर्व नौकरशाहों और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकरों को शामिल किया गया है.
पेटीएम ऐप और सेवाएं पहले की तरह जारी रहेंगी
पेटीएम ने अपने यूजर्स को भरोसा दिलाया है कि उनकी मुख्य सेवाएं, जैसे पेटीएम ऐप, पेटीएम क्यूआर, पेटीएम साउंडबॉक्स और पेटीएम कार्ड मशीन पहले की तरह ही चलती रहेंगी. कंपनी अपने ग्राहकों और व्यापारियों को निर्बाध सेवाएं देने के लिए दूसरे बैंकों के साथ साझेदारी करने की भी कोशिश कर रही है.
PPBL शेयरधारकों ने किया शेयरहोल्डर एग्रीमेंट को सरल
पुनर्गठन के प्रयासों के तहत PPBL के शेयरधारकों ने बैंक के सुचारू संचालन के लिए शेयरहोल्डर एग्रीमेंट (SHA) को आसान बनाने पर सहमति जताई है. इस कदम का मकसद बैंक की स्वायत्तता और कार्यकुशलता को बढ़ाना है.
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PAYTM में आगे क्या?
हालांकि PPBL का भविष्य अभी अनिश्चित है, लेकिन पेटीएम का अलग होने का फैसला बताता है कि कंपनी अपने मुख्य कारोबार को संभावित नियामकीय अड़चनों से बचाना चाहती है. आने वाले दिनों में ये देखना अहम होगा कि दोनों संस्थाएं इस जटिल परिस्थिति से कैसे निकलती हैं और अपने हितधारकों के लिए सहज बदलाव सुनिश्चित करती हैं.